जब यूं ही कभी बैठे बिठाए, कुछ याद अचानक या जाए
हर बात से दिल बेजार सा हो, हर चीज से दिल घबरा जाए
करना भी मुझे कुछ और ही हो, कुछ और ही मुझसे हो जाए
कुछ और ही सोचूँ मैं दिल में, कुछ और ही होंटों पे आए
ऐसे ही किसी एक लमहें में, चुपके से कभी खामोशी में
कुछ फूल अचानक खिल जाएं, कुछ बीते लमहें याद आयें
तब याद तुम्हारी आती है
जब चाँदनी दिल के आँगन में, कुछ कहने मुझसे या जाए
एक झोंका सा छू के कोई, एहसास पे मेरे छा जाए
जब जुल्फ परेशान चेहरे पर, कुछ और परेशान हो जाए
कुछ दर्द भी दिल में होने लगे, और सांस भी बोझल हो जाए
ऐसे ही किसी एक लमहें में, चुपके से कभी खामोशी में
कुछ फूल अचानक खिल जाएं, कुछ बीते लमहें याद आयें
तब याद तुम्हारी आती है
जब शाम ढले चलते चलते, मंजिल का ना कोई नाम मिले
एक हसता हुआ आगाज मिले, एक दर्द भर अंजाम मिले
पलकों से लरजते अशकों से, इस दिल को कोई पैगाम मिले
और सिर्फ वफ़ाओं के बदले, मुझको ही हर इल्जाम मिले
ऐसे ही किसी एक लमहें में, चुपके से कभी खामोशी में
कुछ फूल अचानक खिल जाएं, कुछ बीते लमहें याद आयें तब याद तुम्हारी आती है