तब याद तुम्हारी आती है

जब यूं ही कभी बैठे बिठाए, कुछ याद अचानक या जाए हर बात से दिल बेजार सा हो, हर चीज से दिल घबरा जाए करना भी मुझे कुछ और ही हो, कुछ और ही मुझसे हो जाए कुछ और ही सोचूँ मैं दिल में, कुछ और ही होंटों पे आए ऐसे ही किसी एक लमहें

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